Tuesday, June 2, 2009

डॉ हरिओम पवार को शत शत नमन

भारतभर में विस्फोटों का शोर सुनाई देता है,
हिजबुल लश्कर के नारों का शोर सुनाई देता है,
मलय समीर मौसम आदमखोर दिखाई देता है
लालकिले का भाषण भी कमजोर दिखाई देता है,
इन कोहराम भरी रातों का ढलना बहुत ज़रूरी है
भोर तिमिर में शब्द ज्योति का जलना बहुत ज़रूरी है
नए युगों के कलमकार की कलम नहीं बिकने दूंगा
चाहे मेरा सर कट जाये कलम नहीं बिकने दूंगा
इसलिए केवल अंगार लिए फिरता हूँ मैं गीतों में
आंसू से भीगा अख़बार लिए फिरता हूँ मैं गीतों में,
ये जो आतंको पर चुप रह जाने की लाचारी है
ये हमारी कायरता है, अपराधिक गद्दारी है
ये शेरों का चरण पत्र है भेड़ सियारों के आगे
वट वृक्षों का शीश नमन है खर पतवारों के आगे
जैसे कोई ताल तलय्या गंगा जमुना को डांटे
चार तमंचे मार रहे एटम के मुह पर चांटे
किसका खून नहीं खौलेगा पढ़ सुनकर अख़बारों में
शेरों की पेशी करवा दी चूहों के दरबारों में
इन सब षड्यंत्रों से पर्दा उठाना बहुत ज़रूरी है
पहले घर के गद्दारों का हटना बहुत ज़रूरी है
पांचाली के चीर हरण पर जो चुप पाए जाते हैं।
इतिहास के पन्नो में वो सब कायर कहलाते हैं ……॥